जिन छह स्टेट में मिड डे मिल योजना में अनियमितता की बात सामने आई है...उसमें झारखंड के बाद बिहार नीचे से दूसरे पायदान पर है.... यहां के महज 71 फीसदी बच्चों को मिड डे मिल योजना का लाभ मिल रहा है।
बिहार में इस वक्त 1 करोड़ तैंतालीस लाख ऐसे बच्चे हैं जिन्हें कायदे से स्कूल पहुंचना चाहिए य़े.... लेकिन महज एक करोड़ सतरह लाख बच्चे घर की दहलीज पार कर स्कूल पहुंच रहे हैं.... और इसमें से महज 83 लाख बच्चे तक मिड डे मिल योजना का लाभ पहुंच रहा है.... दुर्भाग्य की बात है कि बिहार जैसे पिछड़े प्रदेश के छब्बीस लाख बच्चे स्कूल से वंचित हैं और चौंतीस लाख बच्चों को दोपहर का भोजन नहीं मिलता।
ऐसा नहीं है कि बिहार में मिड डे मिल के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं मिलती.... मिड डे मिल के लिए यहां पर्याप्त राशी आवंटित की जाती है और पूरे पैसे खर्च भी होते हैं....फिर भी सभी बच्चों को भोजन नहीं मिलता.....ऐसा क्यों हो रहा है जब इसका जवाब जानने की कोशिश की गई तो महंगाई की बात सामने आई।
इस प्रदेश में जितने बच्चे को मिड डे मिल मिलता भी है उसमें महज 39 फीसदी बच्चों को सुप्रिम कोर्ट के दिशा निर्देश के मुताबिक भोजन मिलता है....बांकी बच्चे आधे पेट रह जाते हैं.... यहां महज 67 फीसदी स्कूलों के बच्चों को पीने का साफ पानी मिलता है...58 फीसदी स्कूल में मिड डे मिल बनाने के लिए अलग से किचन की व्यवस्था है... 60 फीसदी बच्चों के पास खाने की प्लेटे हैं...जबकि महज 55 फीसदी स्कूलों में नियमित रूप से बच्चों को मिड डे मिल मिल पाता है.....।
Nilesh Kumar
http://www.samwadia.blogspot.com
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