06 दिसंबर 2010

लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट मिड डे मिल योजना


अपनी तरह के दुनिया के सबसे बड़े कार्यक्रम मिड डे मिल योजना की शुरूआत इस लिए की गई थी कि जो बच्चे गरीबी की वजह से स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं....उन्हें स्कूल तक लाया जा सके.... लेकिन सर्व शिक्षा अभियान के तहत शुरू हुआ ये कार्यक्रम लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जा रहा है....।
 सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित आयोग और दूसरे संगठन के सर्वे से ये बात सामने आई है कि बिहार और झारखंड सहित छह स्टेट में मिड डे मिल की आपुर्ति में भारी अनियमितता है....और बच्चों तक इसका लाभ पूरा और सुचारू रूप से नहीं पहुंच पा रहा है...बिहार और झारखंड के अलावा इस रिपोर्ट में जिन प्रदेशों का नाम शामिल है उसमें पश्चिम बंगाल, असम, मध्यप्रदेश और उड़ीसा शामिल हैं।  
सबसे खराब हालत झारखंड की है जहां के महज 67 फीसदी बच्चों को मिड डे मिल का लाभ मिल रहा है... जबकि बिहार की हालत भी ठीक नहीं है और यहां के मात्र 71 फीसदी बच्चे मिड डे मिल योजना का लाभ उठा पा रहे हैं....।

सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के मुताबिक प्राइमरी स्कूल के बच्चों को सौ ग्राम अनाज और अपर प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए 150 ग्राम अनाज देने दिया जाना था.... और इसके लिए 5.48 लाख टन अनाज की खपत होनी थी.....लेकिन जब आरटीआई दाखिल कर इस खपत की बात पूछी गई तो चौंकाने वाली बात सामने आई.... 2008-2009 के दौरान जहां 5.48 लाख टान अनाज की खपत होनी थी...वहां महज 3.30 लाख टन अनाज की आपुर्ती की गई थी।
 इस रिपोर्ट में ये विस्तार से ये बताया गया है कि बिहार, बंगाल, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, असम और उड़िसा में मिड डे मिल योजना किस तरह से फेल हो रही है...और यहां के स्कूलों में कितनी सुविधाए बच्चों को मिल रही है।
आपको बता दे कि मिड डे मिल योजना के तहत 11.77 लाख बच्चों को साल में दो सौ दिनों का दोपहर का भोजन उपलब्ध कराना था....लेकिन लापरवाही और भ्रष्टाचार ने इस महत्वाकांक्षी योजना की हवा निकाल कर रख दी है।
Nilesh Kumar
http://www.samwadia.blogspot.com

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