31 दिसंबर 2010

BIHAR 2010

बिहार ही नहीं देश की राजनीतिक सुर्खियों की सबसे बड़ी उपलब्धी इस साल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खाते में गई....और नीतीश कुमार पर्सन ऑफ द इयर के खिताब से नवाजे गए.... नीतीश कुमार ने दो तीहाई बहुमत से विधानसभा की ऐतिहासिक जंग में जीत हासिल करते हुए देश को बिहार का एक नया चेहरा दिखाया..... विकास की, उम्मीदों की राह देखता चेहरा....।
विपक्ष के चक्रव्यूह से निकलने के लिए नीतीश कुमार ने जिस ठोस रणनीति का सहारा लिया और जिस तरह से अपनी दूरदर्शिता का प्रदर्शन किया वो देश की राजनीति में एक मिसाल है.... ज्यादातर लोगों को ये विश्वास तो था कि नीतीश कुमार की वापसी होगी लेकिन ऐसी धमाकेदार वापसी की कल्पना तक किसी ने नहीं की थी।
जीत के बाद नीतीश ने कहा ये उन सपनों और उम्मीदों की जीत है जिसका सपना बिहार के लोगों ने देखा है...और अब वो उस सपने को पूरा करने के लिए हर कदम उठाने को तैयार है....नीतीश की उडा़ने को रोकने के लिए विधानसभा के अंदर और बाहर अब कोई शक्ति बाकी नहीं है... विधायक फंड बंद करने और राइट ऑफ इनफॉरमेशन की तर्ज पर राइट ऑफ सर्विस एक्ट का फैसला आने वाले बिहार की तकदीर बदलने के लिए एक संकेत मात्र है।
अगर नीतीश कुमार की जीत को इस साल की सबसे बड़ी राजनीतीक खबर मानी जा रही है....तो लालू-पासवान और राहुल गांधी की बिहार में शिक्सत को खबरों की लिस्ट में निचले पायदान पर रखना भारी भूल होगी।
 पिछड़ों की आवाज़ और धरतीपुत्र लालू प्रसाद यादव जिस तरह से राजनीति के शिखर पर पहुंचे थे...जिस तरह से उन्होंने डेढ़ दशक तक वो बिहार पर राज किया..... विधानसभा चुनाव से पहले ये कयास लगाना अच्छे अच्छे चुनावी पंडितों के लिए मुश्किल था कि उनकी ये गति होगी...।
चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव ने पासवान के साथ चुनावी गठजोड़ कर अपने एमवाई यानि की मुस्लिम यादव वोट बैंक में दलितों को जोड़ कर बड़ा वोट बैंक तैयार कर लिया था.... इतना ही नहीं नीतीश कुमार के सबसे बड़े साथी रहे प्रभुनाथ सिंह को तोड़कर उन्होंने सत्ता पक्ष को भारी संकट में डाल दिया था.... ऐसा लग रहा था कि नीतीश की राह में उन्होंने इतना बडा रोड़ा डाल दिया है जिसको वो कभी पार नहीं कर पाएंगे..... लेकिन जब ईवीएम का ताला खुला तो लालू प्रसाद की हर रणनीति धूल फांकती नजर आई।
लालू यादव औऱ रामविलास पासवान की हार के साथ-साथ बिहार में राहुल गांधी और सोनिया गांधी की राजनीतिक चाल भी धरी की धरी रह गई....चुनाव से पहले कांग्रेस दावा कर रही थी कि राहुल का जादू चलेगा और विधानसभा में वो मजबूत बनकर उभरेंगे.... लेकिन 243 सीटों वाले विधानसभा में कांग्रेस को महज तीन सीटों से संतोष करना पड़ा।
ये साल जितना नीतीश की जीत के लिए याद किया जाएगा उससे ज्यादा लालू यादव और रामविलास पासवान की हार के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज किया जाएगा।
चौबीस नवंबर को बिहार विधानसभा के फैसले के बाद बीजेपी और जेडीयू के रिश्तों में सब समान्य भले ही नजर आने लगा हो , लेकिन पूरे साल दोनों पार्टियों के रिश्तों में खूब तल्खी देखने को मिली।
नरेंद्र मोदी के जिन्न ने कई बार बीजेपी और जेडीयू को अलगाव के मोड़ पर पहुंचा दिया था...पटना में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान जो हुआ उसे भूला पाना मुश्किल है....12 जून को जब बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चल रही थी उसी वक्त यहां के अखबारों में नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की हाथ मिलाते हुए तस्वीर छपी थी।
इस तस्वीर पर नीतीश कुमार इस कदर बौखला गए कि उन्होंने सरे आम कह दिया कि बीजेपी ने उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है... और ये किसी भी कीमत पर बर्दास्त नहीं किया जाएगा...... इतना ही नहीं बीजेपी नेताओं को दी गई शाम की दावत भी कैंसिल कर दी गई।
नीतीश कुमार के इस कदम पर बीजेपी नेताओं ने भी तलवार बाहर निकाल लिए और कहा कि नरेंद्र मोदी उनके सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं और उन्हें बिहार बुलाने और पार्टी का चेहरा बनाने के लिए किसी से कुछ पुछने की कोई जरूरत नहीं है।
बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी नरेंद्र मोदी के बिहार आने और नहीं आने को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच बयानबाजी होती रही....वो तो गनीमत थी कि विधानसभा का फैसला दोनों के पक्ष में आया... अन्यथा नरेंद्र मोदी का जिन्न जेडीयू और बीजेपी को कहां लेजाता कोई नहीं जानता।
बिहार के राजनीतिक खबरों से हटकर एक ऐसी खबर भी थो सरकार और मीडिया और आम आदमी के लिए महत्वपूर्ण थी....वो खबर थी बिल गेट्स के बिहार यात्रा  की.... बिल गेट्स बिहार के कुछ अत्यंत पिछड़े गांव या यूं कहें की उत्तर आधुनिक विश्व पटल पर पूर्व आधुनिकता में जी रहे गाँव को गोद लेने औऱ उसकी दशा-दिशा का जायज़ा लेने यहां आये थे ।
13 मई को पटना पहुंचे बिल गेट्स ने नीतीश कुमार को राज्य के विकास के लिए धन्यवाद देने के बाद खगड़िया और बांका के कुछ गांवों का दौरा किया जहां उन्होंने खगड़िया के एक गांव गुलेरिया मुसहरी को गोद लिया.... बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के पांच सदस्यीय टीम भी गेट्स के साथ बिहार के दौरे पर आई थी।
गेट्स मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, कालाजार, यक्ष्मा जैसी बीमारियों से लड़ने में प्रदेश को मदद करेंगे.... बिल गेट्स ने इसके लिए प्रदेश सरकार के साथ इसके लिए एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी किया।
भारत के दौरे पर आए माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने बिहार सरकार के साथ मिल कर काम करने की योजना बनाई है। गेट्स की संस्था 'बिल एंड मिलिन्डा गेट्स फाउंडेशन' बिहार की जनता के स्वास्थ्य का ख्याल रखने के साथ बिहार की कृषि की स्थिति सुधारने में भी मदद करेगी.... इस मौके पर गेट्स ने कहा कि वो बिहार आकर काफी रोमांचित हैं और राज्य की कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाना उनकी प्राथमिकता है।
राजनीति और आर्थिक जगत को छोड़कर इस साल बिहार की जिस खबर ने सबसे अधिक चर्चा बंटोरी वो खबर थी लखीसराय में नक्सलियों की ओर से बंधक बनाए गये चार जवानों की खबर...।
 लगातार कोशिशों के बाद तीन जवानों को नक्सलियों ने तो छोड़ दिया लेकिन झारखंड के एक जवान लूकस टेटे की उन्होंने हत्या कर दी थी... 29 अगस्त की रात लखीसराय के कजरा-चानन इलाके में कबैया थाना इलाके में नक्सलियों से लोहा लेते हुए चार जवान रूपेश कुमार, अभय यादव, एहसान खान और लुकस टेटे को बंधक बना लिया गया था....इससे पहले घटना स्थल पर हुई पुलिस नक्सली मुठभेड़ में दस जवान शहीद हो चुके थे। 
इन चारो जवानों को छोड़ने एवज में नक्सलियों ने अपने आठ साथियों को छोड़ने की मांग की नक्सलियों ने अपने साथियों को छोडऩे के लिए जो समय सीमा तय की थी उसके खत्म होने के बाद दो सितंबर को एक जवान लुकस टेटे की हत्या कर दी...हालांकि इससे पहले नक्सिलयों ने बंधक जवान अभय यादव की हत्या की बात कही थी लेकिन जब तीन सितंबर को जवान का शव मिला तो उसकी पहचान सिमडेगा के रहनेवाले लुकस टेटे के रूप में हुई।
चार सितंबर की शाम मुख्यमंत्री ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई और नक्सलियों से अपील की वो बंधक जवानों को रिहा कर दे....इस अपील और साधना न्यूज़ की मुहिम के बाद चार सितंबर की रात नक्सली प्रवक्ता ने तीनों जवानों को रिहा करने की बात मान ली......और छह सितम्बर की अहले सुबह नक्सलियों ने बंधक बनाए गए तीनों जवानों को सकुशल रिहा कर दिया था।

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