29 दिसंबर 2010

अतिथि देवो भव

हमारी संस्कृति में अतिथियों को देवता कहा गया है....फिर वो इंसान हो या फिर कोई बेजुबान पक्षी...मेहमान मेहमान होता है....लेकिन इऩ दिनों बिहार के कई इलाको मे लोग अतिथि देवो भव की भावनाओं को भूल गए हैं और मेहमान की हत्या कर रहे हैं.....
ठंड के मौसम में बड़ी संख्या मे प्रवासी पक्षी बिहार आते हैं....बिहार के झील और गंगा की तराई का इलाका इऩकी पसंदीदा जगह है....ये मौका लोगों के लिए दुर्लभ होता है जब विदेशी पक्षियों के कलरव से पूरा इलाका गूजने लगता है.....
प्रवासी पक्षियों के कलरव से जहां बिहार के कई इलाके रमणीय पर्यटक स्थल मे बदल जाते हैं वहीं इसका एक दूसरा पहलू भी है..सेलानियों और आम लोगों के साथ ही इस मौके की ताक मे शिकारी भी लगे रहते हैं...और ये इऩ मेहमान पक्षियों का बेदर्दी से शिकार करते हैं..औऱ सबसे दुर्भाग्यपूर्ण तो ये है कि सरकार और प्रशासन भी इऩके संरक्षण के लिए आगे नहीं आ रहे हैं...



















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