05 नवंबर 2010

वो बचपन वाली दिवाली

By:Chandan Kumar 'Chaman' 
ck.chaman@gmail.com
दिन भर की भाग दौड़ और कड़ी मेहनत के बाद रात के करीब दस बजे ऑफिस से घर के लिए निकला.....नोएडा -दिल्ली की चौड़ी सड़क पर चलते हुए बल्बों की चकाचौध में याद आया चंद दिनों बाद ही तो दिवाली है ..दिवाली यानि प्रकाश का पर्व ...लेकिन महानगरों में तो रोज दिवाली है 
हर रात प्रकाश पर्व....लेकिन गांव की वो एक रात की दिवाली इससे कहीं चमकीली औऱ उत्साह वाली होती है....इसका एहसास मुझे आज हुआ.....चंद दिनो बाद दिवाली है लेकिन ना कोई उत्साह ..ना कोई उमंग..बस मन में ये भाव कि त्योहार है किसी तरह मना लेना है.....लेकिन इऩ भावों ने ही मुझे अंदर तक झकझोर भी दिया कि क्या हमारी संस्कॉति में त्योहार के यही मायने है.....
मुझे याद आने लगा वो बचपन की गांव मे बिताई दिवाली ..हफ्तों पहले से शुरू हो जाती थी हमारी तैयारी...पूर्णिया जिले के हमारे छोटे से गांव मतेली के पास एक छोटा सा बाजार है रूपौली....जहां हफ्तों पहले सज जाती थी...पटाखों औऱ साजो सामान के दुकान...और हम खरीदने भले ही ना जाए..
लेकिन... देखने जरूर रोज बाजार चले जाते कि दुकान पर कैसे कैसे पटाखे मिल रहे है...लगता पैसे हों तो पूरी दुकान ही उठा लाए.....तरसते मचलते बीतते कई दिन ..और उसके बाद जो पटाखे मिलते वो दुनिया कि बड़ी खुशियां होती....मन में ये भाव जरूर होता कि मेरे पास सबसे ज्यादा पटाखे हों..लेकिन बात जब उन्हें छोड़ने की होती तो पटाखा फूटने के साथ ही ये भाव खत्म हो जाते 
और फिर सब मिल कर वो धमाल करते कि मेरे तेरे का भाव ही खत्म हो जाता....इसके बाद बारी आती उक्का पाती की जो अंग के इलाकों में दीवाली की खास रस्म है....पटसन की डंठल जिसे संठी कहते हैं ..इससे बनती थी उक्का पाती....और फिर इसे जला कर गांव से बाहर कर दिया जाता ...
इस भाव के साथ की इससे गांव की दरिद्रता भी खत्म हो जाएगी.....इसके बाद लौटते वक्त सभी एक दूसरे के घर जाते बड़ों को प्रणाम करते ...हमउम्रों से गले मिलते औऱ मुंह मीठा करते ...उस वक्त ये महज एक रस्म लगती थी...लेकिन आज इसके पीछे का भाव समझ में आता है कि हम उक्का पाती के रूप मे नफरत को जलाते हैं औऱ एक दूसरे से गले मिल कर भाईचारे का संदेश देते हैं........
यादों की इन्ही गलियारों मे भटकता मैं अपने घर की दहलीज पर आ गया औऱ दरवाजा खुलते मेरे चार साल के बेटे ने सवाल दागा ..पापा पटाखे लाए हैं.....मुझे लगा मेरी वो बचपन वाली दिवाली वापस आ रही है औऱ मैने प्यार से बेटे को उठा कर गले लगा लिया....औऱ खुद से वादा किया....इस बार भी वही दिवाली मनाउंगा....वही प्रकाश औऱ उत्साह वाली दीवाली

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