बिहार का फाइनल 6 चरणों में होने जा रहा है… लेकिन इस लंबे चुनावी कार्यक्रम में चुनाव प्रचारकों की फौज बहुत छोटी दिख रही है... आरजेडी-एलजेपी की तरफ से जहां लालू-पासवान स्टार प्रचारक हैं,,वहीं एनडीए की ओर से नीतीश, शरद, सुशील मोदी औऱ सीपी ठाकुर समेत कई केन्द्रीय नेता हैं..कांग्रेस में प्रचारक तो बहुत हैं,,मगर उसकी समस्या कुछ अलग है..
बिहार में लगभग एक महीने तक विधनासभा चुनाव का कार्यक्रम है..इस दौरान राज्य के अलग-अलग हिस्सों में उड़नखटोले के साथ अलग-अलग दलों के नेता दिखाई देंगे.. एनडीए और कांग्रेस इस मामले में धनी होगी,,,जिसका प्रचार राज्य के नेताओं के अलावा केन्द्रीय स्तर के नेता भी करेंगे.. लेकिन इस बार फिर से सत्ता की ख्वाब देख रहे लालू-पासवान ही अपने गठबंधन के स्टार प्रचारक होंगे..पिछले लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन ने राबड़ी को भी मैदान में उतारा था,,,लेकिन इस बार वो बड़ी भूमिका में नहीं दिख रही हैं... रामविलास के दोनों भाई भी छोटी ही भूमिका में हैं.. इनके अलावा आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह, शकील अहमद, प्रभुनाथ सिंह भी चुनावी शोर में शामिल होंगे..
एनडीए गठबंधन इस मामले में धनी नजर आ रहा है.. जेडीयू की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा शरद यादव और राज्य के कई मंत्री स्टार प्रचारक होंगें... जबकि सहयोगी बीजेपी की तरफ से उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, प्रदेश अध्यक्ष सी पी ठाकुर समेत तमाम केन्द्रीय नेता चुनावी शोर का हिस्सा होंगे... इनमें पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी, लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, राजीव प्रताप रुढ़ी, रविशंकर प्रसाद जैसे लोग शामिल हैं.. लेकिन विवादों की वजह से शायद नरेन्द्र मोदी और वरुण गांधी फिर बिहार चुनाव प्रचार से वंचित रहें...
केन्द्र में सत्तासीन और बिहार में नए बिहान का सपना संजोए कांग्रेस के लिए ये चुनाव जीवन-मरन का सवाल बनता जा रहा है.. लिहाजा, पार्टी अपना दमखम दिखाने के लिए राहुल गांधी के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष महबूब अली कैसर और अन्य नेताओं को चुनावी समर में बतौर प्रचारक उतारेगी.. सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कई केन्द्रीय मंत्रियों के भी बिहार दौरे पर आने की संभावनाएं है.. इसके अलावा पार्टी अलग-अलग इलाकों में उन नेताओं को भी प्रचारक के रुप में उतारने जा रही है,,जो दूसरों की लंका भेद सकें... इनमें नागमणि, ललन सिंह, अखिलेश सिंह, साधु यादव जैसे नेता शामिल हैं.. कुल मिलाकर इसबार का चुनावी प्रचार वोट हासिल करने के लिए कम और वोट बिखेरने में ज्यादा कारगर होगा..
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