बाढ़ की विभीषका बिहार के लगभग दर्जनभर जिलों में तबाही मचा रही है...गोपालगंज,छपरा, समस्तीपुर, सहरसा, पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार,अररिया,बगहा और सुपौल में लोग जल प्रलय से जूझ रहे हैं... बाढ़ में बेजुबान जानवरों की जान तो जा ही रही है..इंसान भी प्रकृति की मार से बेबस है...
सिमरिया में गंडक नदी का तटबंध टूटने से हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं...प्रभावित क्षेत्रों में लोग दाने-दाने को मोहताज हैं....उधर कोसी का काल सहरसा...सुपौल में तबाही मचा रहा है...लोग घर-द्वार छोड़ भाग रहे हैं...ग्रामीणों का कहना है कि पानी के बहाव में कभी भी और तेजी आएगा... और बाढ़ और तबाही मचाएगा...
कोसी के पूर्वी तटबंध के भीतर बसे सहरसा के केदली,असई, रामपुर, बरियाही और छतवन गांव पानी में घिर चुके हैं...कई घर बस डूबने के कगार पर हैं...लेकिन प्रशासन ने इन लोगों को अभी तक खाद्यान्न, माचिस, पालिथीन शीट, किरासन तेल जैसी जरुरी चीजे मुहैया नहीं कराई है...
बाढ़ में फंसे लोगों के लिए नाव आने- जाने के लिए सबसे जरुरी है... जरुरत की छोटी से छीटी चीजों को लाने के लिए भी नदी पार करना पड़ता है...और इसके लिए नाव की जरुरत होती है...लेकिन इन इलाकों में नाव की भारी किल्लत है...नतीजन एक ही नाव में लोग क्षमता से ज्यादा सवार होते हैं और दुर्घटनाएं होती है... इन इलाकों में दूसरी परेशानियां भी कम नहीं है...
किशनगंज में बाढ़ ने जबरदस्त तबाही मचाई है...महानंदा और कंकई की बाढ़ में लोगों का सब कुछ बह गया है...वैसे यहां प्रशासन ने राहत कार्य शुरू किया है...लेकिन इस प्रलय को देख के राहत कार्य नाकाफी लग रहा है...
बाढ़ बिहार में हर साल आने वाली एक ऐसी दुखभरी कहानी है...जिसमे सिर्फ दुख है...दर्द है...बिन बुलाए प्रकृति की मार है... और इस मार को बेबस देखने को मजबूर... इंसान की कहानी है...
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