07 दिसंबर 2010

बिहार:जनवितरण प्रणाली की हालत बदतर

देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है अपना बिहार.... शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और सड़क से पहले यहां के लोगों की जो मुलभूत जरूरत दो वक्त की रोटी है वो भी पूरी नहीं हो पा रही है..... केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाएं जमीन पर हकीकत बनती नजर नहीं आती..... जनवितरण प्रणाली जो सबसे पुरानी योजना है...वो आज तक इस प्रदेश में पूरी तरह सफल नहीं हो पाई है।
वैसे गरीब परिवार जो बाजार दर पर दो वक्त के लिए अनाज नहीं खरीद पाते... उनलोगों को सरकार की तरफ से तीन तरह के कार्ड जारी किये गये है....एपीएल, बीपीएल और एएवाई ....प्रदेश में इस वक्त 39 लाख 74 हजार, 448 एपीएल कार्ड धारी......और 52 लाख, 15 हजार, 982 बीपीएल कार्ड धारी हैं जबकि यहां 24 लाख 13 हजार 444 अंत्योदय अन्य योजना के लाभार्थी हैं....तीन योजनाओं के लाभार्थियों की कुल संख्या मिला दी जाए तो बिहार में ये संख्या 1 करोड़ 16 लाख 3 हजार 874 है।
सुप्रीम कोर्ट की निर्देश के बाद हुए सर्वे में जो रिपोर्ट सामने आई है... उसमें ये बात सामने आई है कि बिहार में जनवितरण के लिए जो अनाज आता है उसका महज 66.20 फीसदी हिस्सा ही लोगों तक पहुंच पाता है.... महज पचहत्तर फीसदी लोगों को जनवितरण प्रणाली से अनाज मिलता है, हालांकि इसमें भी क्वालिटी और क्वांटिटी की कोई गारंटी नहीं होती।
यहां कभी समय पर औऱ पूरा अनाज नहीं मिलता...जबकि सरकारी रिकॉर्ड में सौ फीसदी अनाज का खर्च दिखाया जाता है....अनाज की जो कीमत तय की गई है उसपर अनाज मिलना यहां सपने की बात है....जबकि महज पचहत्तर फीसदी लोगों को राशन दूकान से अनाज मिल पाता है।
Nilesh Kumar

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