27 अगस्त 2010

झारखंड में भ्रष्टाचार संक्रामक

झारखंड में भ्रष्टाचार संक्रामक है...इसकी वजह बस इतनी सी है कि भ्रष्ट और दागदार नेताओं के गठजोड़ ने झारखंड की मिट्टी को जी भर कर लूटा है.....वही मिट्टी जो साफ होकर लोहा...एल्मूनियम....मैंगनीज... और यूरेनियम बन जाती है....।
प्रदेश में गठबंधन सरकारें आती हैं और जाती हैं...चेहरे बदल जाते हैं....लोग बदल जाते हैं.....पार्टी बदल जाती है.....सत्ता बदल जाती है....अगर कुछ नहीं बदलता तो वह है भ्रष्टाचार....मिट्टी की लूट......राजनेता और नौकरशाह यह जानते हैं कि गठबंधन सरकारों के इस दौर में और राजनीतिक तौर पर अस्थिर इस प्रदेश में वह जितनी जल्द अपनी जेबें भर लेंगे.....उनके लिए उतना ही मुफीद होगा.....।
झारखंड का गठन 2000 में बिहार रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट के तहत हुआ.... 2000 से लेकर अबतक दस साल बीत चुके हैं लेकिन झारखंड के खाते में सिर्फ विफलताएं हैं....झारखंडी जनता को यहां की मिट्टी को उसके स्वयंभू नेताओं जी भर कर लूटा है और यहां की खनिज सम्पदा को देशी-विदेशी कंपनियां..... बड़े थैलीशाह और माफिया गिरोह अंधाधुंध लूट रहे हैं...।
लूट की इसी संस्कृति से पैदा हुए मधु कोड़ा.....आम लोग हैरत में हैं कि 18 सितम्बर, 2006 से 27 अगस्त, 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे मधु कोड़ा ने अरबों की संपत्ति कैसे बनाई..... लूट के उनके मेकेनिज्म में किसकी क्या भूमिका रही झारखंड का हर आम आदमी आज यही जानने की कोशिश कर रहा है।
झारखंड के अर्थव्यवस्था की बात करें तो भारत के कुल खनिज पदार्थों के भंडार का ४० फीसदी हिस्सा अकेले झारखंड में है.....लोहा,कोयला,माइका,बाक्साइट,फायर-क्ले,ग्रेफाइट,कायनाइट,सेलीमाइट, चूना पत्थर,युरेनियम और दूसरी खनिज संपदाओं से परिपूर्ण है यह राज्य....खनिज उत्पादों के खनन से झारखंड को सालाना तीस हजार करोड़ रुपये की आय होती है.... ।
झारखंड की खनिज संपदा ही इसके लिए अभिशाप बन गई है....खनिज मामलों में हुई सौदेबाजी ने झारखंड को पूरी दुनिया में चर्चित बना दिया है....झारखंड की खनिज संपदा लुट रही है.....झारखंड के लौह अयस्क से चीन के स्टील कारखाने चल रहे हैं और ये अय़स्क चीन कैसे पहुंच रहे हैं कोई नहीं जानता....यहां के नेता नौकरशाहों और ठेकेदारों के साथ मिलकर खनिजों की सौदेबाजी करते हैं और लाखों का वारे न्यारे कर हैं....।
झारखंड में लूट-दोहन और विकास के नाम पर भटकाव का सिलसिला यूं ही जारी रहा तो मधु कोड़ा जैसे लोग बार-बार पैदा होंगे.....कोड़ा कोई नाम नहीं....बल्कि एक प्रवृत्ति है....और उन्हें खड़ा करने वाले भी झारखंड के गुनहगार हैं....यहां की मिट्टी के लूटेरे हैं।

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