31 जुलाई 2010

मानव विकास के मामले में फि‍सड्डी कोसी

सीमांचल क्षेत्र की 60 फीसदी आबादी कुपोषण की शि‍कार, जी हां, यह चैंकानेवाला तथ्य राष्‍ट्रीय परिवार स्वास्थय सर्वेक्षण की रिपोर्ट में सामने आया है, रिपोर्ट के मुताबिक कोसी क्षेत्र में लोगों के भोजन में आयरन, राइबोफलेबिन और विटामिन ए के औसत उपयोग कम है। यही वजह है की यहां की 60 फीसदी आबादी कुपोषण की शि‍कार है,यही वजह से हर वर्ष 7.5 फीसदी बच्चे जन्म लेने के एक वर्ष बाद ही मौत को गले लगा लेते हैं,, रिपोर्ट के मुताबिक पूर्णिया में 36.8, सहरसा में 41.1,कटिहार में 24 किशनगंज में 33 फीसदी लोग ही पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन ले पाते हैं,, पूरे क्षेत्र में हरी सब्जी व दूध से बने सामानों का इस्तेमाल 24 फीसदी लोग ही कर पाते हैं,, मानव विकास रिपोर्ट के मुताबिक हर एक आदमी को कम से कम 22 कैलोरी प्रोटीन की जरूरत पड़ती है,,
महिला साक्षरता
महिला साक्षरता के मामले में अपना क्षेत्र सूबे के अलावा देश में किसी भी क्षेत्र से सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ है, आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ हो जाता है कि‍ इस क्षेत्र में कितने पिछड़े हुए हैं,, सुपौल में 22, अररिया में 23, किशनगंज में 19, पूर्णिया में 24 मधेपुरा में 23 और सहरसा में 26 फीसदी महिला साक्षरता दर है,, जबकि इन जिलों में पुरूष साक्षरता दर इनसे दुगनी है,,
परिवार नियोजन
परिवार नियोजन के मामले में यहां पर लोगों की भागीदारी कम है और सीमांचल के सभी जिलों में 6 वर्ष से कम उम्र की बच्चों की तादाद सूबे में सबसे ज्यादा है,,, सर्वेक्षण के मुताबिक कुल जनसंख्या में सुपौल,सहरसा में बच्चों का प्रतिशत 21 फीसदी, अररिया, किसनगंज, पूर्णिया, मधेपुरा और कटिहार में करीब 22 -22 फीसदी है,,
लिंगानुपात
यहां के सभी जिलों में लिंगानुपात राष्ट्रीरय औसत से बहुत बेहतर है, फिर भी धीरे-धीरे पुरूषों के मुकाबले में महिलाओं की तादाद में कमी आ रही है,, किशनगंज जिले में एक हजार पुरूष में महिलाओं की संख्या 943 हैं,, वहीं सुपौल जिले में 920, कटिहार में 919, पूर्णिया, अररिया में 916, मधेपुरा में 915 और सहरसा में सबसे कम 910 हैं,, भ्रूण परीक्षण यहां पर अवश्‍य होते हैं लेकिन भ्रूण हत्या की समस्या इन जिलों में नहीं हैं,,
कुपोषण एक अभिशाप
कुपोषण एक राष्ट्री3य समस्या है और ग्रामीण क्षेत्रों की यह सबसे बड़ी समस्या है,, देश के अन्य हिस्सों से जुड़ी खबरें हमेशा देखने सुनने को मिलते है लेकिन झारखंड के अपेक्षा बिहार में अब तक आधिकारिक रूप से इस मसले पर कुछ नहीं कहा गया है,, हाल ही में जारी राष्‍ट्रीय परिवार स्वास्थय सर्वेक्षण की रिपोर्ट में साफ हो गया है कि पुर्णिया,कटिहार,मधेपुरा व सहरसा जिले में एक से दस वर्ष के बच्चे सबसे ज्यादा इस मर्ज के शि‍कार हैं,, रिपोर्ट के मुताबिक सुपौल जिले में 21 से तीस वर्ष की उम्र के कुपोषि‍त लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है,, इसके अलावा अररिया और किशनगंज में तीस से चालीस वर्ष के लोग सबसे ज्यादा कुपोषि‍त हैं,, रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में बच्चों में कुपोषण की मात्रा लगभग 29 फीसदी है वहीं कोसी क्षेत्र में यह आंकड़ा तकरीबन 47 के करीब है,,

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