सविता जमशेदपुर वीमेंस कालेज में एमबीए की छात्रा है. वह जमशेदपुर के पुड़ाहासी पंचायत से चुनाव लड़ रही है. उसका मकसद किसी बड़ी कम्पनी मे पद हासिल करना था |
लेकिन अपने गांव के लिए उसने इन अरमानों को त्याग कर अपने एमबीए के अनुभव को गांव के विकास मे लगाने को सोची है. हर दिन सुबह उसके घर उसके कालेज की सहेलियां आती हैं और उसके बाद दौर चलता है कम्पेनिंग का. |
वे घर घर जाती हैं और लोगों से मिल कर अपनी बातों को रखती हैं. |
कालेज से उसके प्रचार में आयी सहेलियों का भी कहना है कि आज समाज बदलाव चाह रहा है. |
वे साफ कहती हैं कि आजकल के जो नेता विकास की बात करते हैं उससे कहीं ज्यादा विकास कैसे हो यह बात एक छात्र जान सकता है. |
लड़कियां कहती हैं कि गांव में शिक्षा जरूरी है और साथ ही वे सारी सुविधायें गांव में चाहिए जो आज की जरूरत है. |
इसी लिए वे कालेज से यहां आकर प्रचार कर रही है. यहां सवाल एक सविता की नहीं है बल्कि सवाल उस बदलाव का है जो झारखंड का भविष्य में मुकददर लिख सकता है |
यह सोच सिर्फ एक पुड़ाहासी गांव के स्टूडेंट की नहीं बल्कि उस हर छात्र की है जो देश में झारखंड को मिलने वाले भ्रष्टाचार के ताने में परिवर्तन चाहता है. |
जज्बे की इस कहानी को साथी अनीस खां लेकर आए हैं..आपको यह कहानी कैसी लगी हमें जरूर बताएगा.... |
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